ईमानदारी और सादगी के प्रतीक है सीपीएम नेता माणिक सरकार। 20 साल मुख्यमंत्री रहने के बावजूद अपना कोई घर नहीं।

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ईमानदारी और सादगी के प्रतीक है सीपीएम नेता माणिक सरकार। 20 साल मुख्यमंत्री रहने के बावजूद अपना कोई घर नहीं।

(ग्लोबल ख़बर)। त्रिपुरा में सीपीएम की हार हो गई। हार कैसे हुई इसको लेकर तरह तरह की चर्चाएँ हैं। हार के बावजूद सीपीएम नेता और पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार इन दिनों सुर्खियों में है अपनी ईमानदारी और सादगी की वजह से। 

 

- कहा जाय कि माणिक सरकार देश के सबसे गरीब मुख्यमंत्री हैं तो गलत नहीं होगा।

- उन्होंने अपनी पुश्तैनी मकान पहले ही पार्टी को दे दिया था। 

- लगातार 20 साल तक मुख्यमंत्री रहे उनके पास कोई घर नहीं है। त्रिपुरा में लगातार 25 साल तक सीपीएम का शासन रहा।

- उन्हें जो बतौर मुख्यमंत्री वेतन मिलता था वे पार्टी फंड में जमा करा दिया करते थे। 

- पार्टी उन्हें अपनी खर्च के लिये भत्ता देती।

- उनका खर्च पत्नी पांचाली को मिलने वाले पेशन से भी चलता था। वे शिक्षक थी।

- माणिक सरकार की कुल चल एवं अचल संपत्ति की कीमत ढाई लाख रुपये से भी कम है।

- उन्होंने विधानसभा चुनावों में नामांकन दाखिल करते हुए अपने शपथपत्र में बताया था कि उनके हाथ में 1,080 रुपये नकद राशि थी। शपथपत्र के अनुसार उनके बैंक खाते में मात्र 9,720 रुपये थे।

- राजधानी अगरतल्ला हो या उनका अपना शहर उदयपुर, बतौर मुख्यमंत्री वे सब्दी खरीदते हुए भी देखे जाते थे। 

- उनकी पत्नी ने कभी भी पति को मिलने वाले सरकारी वाहन का भी इस्तेमाल नहीं किया। वे अपने स्कूल बस या ऑटोरिक्शा से आती जाती थी। 

- सीपीएम हार के बाद माणिक सरकार ने मुख्यमंत्री निवास खाली कर दिया। 

- बताया जाता है कि उनके रहने का इतंजाम पार्टी के गेस्ट हाउस के एक कमरे में किया गया है। मुख्यमंत्री निवास से वे चंद कपड़े और कुछ किताब लेकर निकले। और सीधे पार्टी दफ्तर पहुंचे। 

- पू्र्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार का कुछ समय तक पार्टी दफ्तर का एक कमरा ही कुछ महीनों तक निवास स्थान होगा।

सीपीएम और बीजेपी के बीच भले ही विवाद हो लेकिन व्यक्तिगत तौर पर हर नेता उनका बेहद सम्मान करते हैं। उनके प्रतिद्धंदी भी उनपर टिप्पणी करने से पहले दस बार सोचते हैं। बीजेपी की ओर से त्रिपुरा के भावी मुख्यमंत्री बिप्लब देव विधायक दल की बैठक के अगले दिन ही सीपीएम दफ्तर गये और माणिक सरकार के पैर छू कार आशीर्वाद लिया। कहा जा रहा है कि वे बतौर पूर्व मुख्यमंत्री और विधायक मिलने वाली सुविधाएं भी वे न लें। हालांकि दबाव है कि वे बुनियादी सुविधाएं जरूर लें। और नई सरकार उनके लिये आवास की व्यवस्था करती है तो उसमें जरूर जायें। माणिक सरकार को सबसे गरीब मुख्यमंत्री कहे जाते रहे इसपर उन्होंने कहा कि इसके लिये उन्हें कभी शर्म महसूस नहीं हुई।