अर्थव्यवस्था को लेकर यशवंत सिन्हा ने जेटली को निशाना बनाया।

अर्थव्यवस्था को लेकर यशवंत सिन्हा ने जेटली को निशाना बनाया।

नई दिल्ली। लगातार गिरती जीडीपी और चरमरा रही भारतीय अर्थव्यवस्था के कारण मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। भाजपा के कद्दावर नेता और अटल सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने अरुण जेटली पर जोरदार तरीके से निशाना साधा है। यशवंत सिन्हा ने नोटबंदी को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि नोटबंदी के बाद जीएसटी ने गिरती जीडीपी में आग में घी डालने की तरह काम किया है। सिन्हा ने कहा कि जीडीपी अभी 5.7 है, सभी को याद रखना चाहिए कि सरकार ने 2015 में जीडीपी तय करने के तरीके को बदला था। अगर पुराने नियमों के हिसाब से देखें तो आज के समय में जीडीपी 3.7 प्रतिशत पर होती।


हेडलाइन से अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित लेख में यशवंत सिन्हा ने लिखा है, वित्त मंत्री ने अर्थव्यवस्था का जो 'कबाड़ा' किया है, उस पर अगर मैं अबभी चुप रहा तो राष्ट्रीय कर्तव्य निभाने में विफल रहूंगा। मुझे यह भी मालूम है कि जो मैं कहने जा रहा हूं बीजेपी के ज्यादातर लोगों की यही राय है पर वे डर के कारण
बोल नहीं पा रहे हैं। यशवंत सिन्हा ने तंज कसते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उन्होंने गरीबी को काफी करीब से देखा है। ऐसा लगता है कि उनके वित्त मंत्री ओवर-टाइम काम कर रहे हैं ताकि वह सभी भारतीयों को गरीबी को काफी नजदीक से दिखा सकें।

उन्होंने लिखा, 'इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर क्या है? निजी निवेश काफी कम हो गया है, जो दो दशकों में नहीं हुआ। औद्योगिक उत्पादन ध्वस्त हो गया, कृषि संकट में है, निर्माण उद्योग जो ज्यादा लोगों को रोजगार देता है उसमें भी सुस्ती छायी हुई है। सर्विस सेक्टर की रफ्तार भी काफी मंद है। निर्यात भी काफी घट
 गया है। अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्र संकट के दौर से गुजर रहे हैं। नोटबंदी एक बड़ी आर्थिक आपदा साबित हुई है। ठीक तरीके से सोची न गई और घटिया तरीके से लागू करने के कारण जीएसटी ने कारोबार जगत में उथल-पुथल मचा दी है। कुछ तो डूब गए और लाखों की तादाद में लोगों की नौकरियां चली गईं। नौकरियों के नए अवसर भी नहीं बन रहे हैं।

एक के बाद दूसरे तिमाही में अर्थव्यवस्था की विकास दर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। मौजूदा वित्त वर्ष के पहले तिमाही में विकास दर 5.7 पर आ गई, जो तीन साल में सबसे कम है। सरकार के प्रवक्ता कह रहे हैं कि इस मंदी के लिए नोटबंदी जिम्मेदार नहीं है। वे सही हैं। मंदी काफी पहले से शुरू हो गई थी, नोटबंदी ने केवल आग में घी डालने का काम किया है। प्रधानमंत्री चिंतित हैं। विकास को रफ्तार देने के लिए वित्त मंत्री ने पैकेज देने का वादा किया है। हम सभी बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। नई चीज इतनी हुई है कि प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद का पुनर्गठन हुआ है। पांच पांडवों की तरह वे हमारे लिए नई महाभारत को जीतने की उम्मीद लगाएं हैं।

इस साल मॉनसून अच्छा नहीं रहा है। इससे किसानों की परेशानी बढ़ेगी। किसानों को कुछ राज्य सरकारों ने लोन माफी भी दी है, जो कुछ मामलों में एक पैसे से लेकर कुछ रुपये तक है। देश की 40 बड़ी कंपनियां पहले से ही दिवालिया होने के कगार पर हैं। कई और कंपनियां भी दिवालिया हो सकती हैं। एसएमई सेक्टर भी संकट में है। सरकार ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से उनकी जांच करने को कहा है जिन्होंने बड़े क्लेम किए हैं। कई कंपनियों खासतौर से एसएमई सेक्टर में कैश फ्लो की समस्या बनी हुई है लेकिन अब वित्त मंत्रालय इसी तरीके से काम कर रहा है। जब हम विपक्ष में थे तो रेड राज का हमने विरोध किया था। आज यह सब ऑर्डर ऑफ डे हो गया है।

सिन्हा ने यह भी लिखा है कि अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में समय लगता है पर उसे आसानी से तबाह किया जा सकता है। 90 के दशक और 2000 के समय में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में करीब चार साल का वक्त लगा था। किसी के पास जादू की छड़ी नहीं है, जो वह घुमाए और रातों-रात अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आए। अभी उठाए गए कदमों का परिणाम आने में वक्त लगेगा। अगले लोकसभा चुनाव तक अर्थव्यवस्था में रफ्तार की उम्मीद नहीं की जा सकती है।  सिन्हा ने कहा कि दिखावा और धमकी चुनाव के लिए तो ठीक है पर वास्तविक हालात में यह सब गायब हो जाता है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली पर सीधा-सीधा हमला बोलते हुए यशवंत सिन्हा ने लिखा कि इस सरकार में वह अभी तक सबसे बड़ा चेहरा रहे हैं। कैबिनेट का नाम तय होने से पहले ही यह तय माना जा रहा था कि जेटली ही वित्त मंत्री बनेंगे। अपनी लोकसभा सीट हारने के बाद भी उन्हें मंत्री बनने से कोई नहीं रोक सका। यशवंत सिन्हा ने लिखा कि इससे पहले अटल सरकार में जसवंत सिन्हा और प्रमोद महाजन को वाजपेयी का करीबी होने के बावजूद मंत्री नहीं बनाया गया था, लेकिन जेटली को वित्त मंत्रालय के साथ ही रक्षा मंत्रालय भी मिला। वो भी लोकसभा चुनाव हारने के बाद।