लहका के संस्थापक तरूण तेजपाल को 6 दिनों के लिये पुलिस रिमांड में भेज दिया गया है। हालांकि गोवा पुलिस ने 6 दिन की पुलिस रिमांड की मांग की थी। इस बीच 30 नवंबर को नॉर्थ गोवा सेशन कोर्ट ने तेजपाल की अग्रिम जमानत की याचिका रद्द कर दी थी इसके बाद रात 9.20 बजे उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। तरूण तेजपाल पर उनके साथ काम करने वाली एक महिला पत्रकार ने रेप का आरोप लगाया है।
बीते कई दिनों से तहलका के एडिटर-इन-चीफ तरूण तेजपाल मीडिया की सुर्खियों में हैं। तरूण तेजपाल की उम्र लगभग 50 साल है और उनपर उनके पूर्व सहकर्मी और मित्र की बेटी ने उन पर आरोप लगाया है कि 7 और 8 नवंबर को गोवा के एक होटल की लिफ्ट में तेजपाल ने उनका यौन उत्पीड़न किया था।
इसके बाद यह मामला काफी तुल पकड़ा।
तरुण तेजपाल कौन हैं –
तरूण तेजपाल उस समय सुर्खियों में आया जब उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण को पैसे लेते कैमरे पर दिखाया था। दरअसल इस स्टिंग में तहलका के कुछ पत्रकार गुप्त कैमरे के साथ हथियारों के व्यापारी बनकर सेना के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण से मिले थे। तहलका के इस स्टिंग ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को दिक्कतों में डाल दिया। यहां तक कि रक्षा मंत्री जॉ़र्ज फर्नांडिस को भी इस्तीफा देना पड़ा था।
बीबीसी के अनुसार, उसी साल एशियावीक ने तेजपाल को एशिया के 50 सबसे शक्तिशाली पत्रकारों में एक माना। बिज़नेस वीक ने उन्हें एशिया के उन 50 नेताओं में से एक माना जो एशिया में होने वाले बदलाव के अगुआ हैं। इस स्टिंग के सामने आने के 20 महीने बाद ब्रिटेन के गार्डियन अख़बार ने इस स्टिंग की तुलना अमरीका के 'वाटरगेट' मामले से करते हुए तेजपाल को भारत का "सबसे सम्मानित" पत्रकार कहा था।
तेजपाल तहलका शुरू करने से पहले इंडिया टुडे और आउट लूक डूडे से प्रतिष्ठत प्रतिकाओं में भी काम कर चुके हैं। उनकी पत्नी का नाम गीतम है और उनकी दो बेटियां हैं जिनके नाम टिया और कारा है।
साल 2003 में तहलका के मुख्य फ़ाइनांसर और स्टिंग करने वाले पत्रकारों के जेल चले जाने के बाद तेजपाल के पास काम करने के लिए कुछ ही लोग रह गए थे। उस समय उन्होंने गार्डियन अख़बार से कहा था, "मुझे संघर्ष की उम्मीद थी लेकिन ये सब इस हद तक होगा इसकी उम्मीद नहीं थी."
आख़िरकार तहलका वेबसाइट मजबूरन बंद करनी पड़ी। साल 2004 में तहलका फिर से एक अख़बार के रूप में इस दावे के साथ रिलॉंच हुआ कि वो "आज़ाद, निष्पक्ष और निडर" पत्रकारिता को बढ़ावा देगा। तीन साल बाद तहलका एक साप्ताहिक पत्रिका में बदल गया।
साल 2001 में सेमिनार पत्रिका में लिखे एक लेख में तेजपाल ने कहा था कि विकासशील देश होने के कारण भारत में आर्थिक घोटालों से जुड़े मामले सेक्स स्कैंडल से जुड़े मामलों से ज़्यादा ध्यान खींचते हैं। तेजपाल ने लिखा था, "पैसे का ग़लत इस्तेमाल, ग़बन और बर्बादी, ऐसी चीज़ें हैं जो हमें ज़्यादा कष्ट पहुँचाती हैं।"
इसी लेख में तेजपाल ने कहा था, "सेक्स स्कैंडल का कोई मतलब नहीं है...यह असल में विकसित देशों का मामला है, जिससे वहाँ के लोगों को 'ग्रुप वॉयरिज़म' और 'आर्टिफ़िशियल एक्साइटमेंट' मिलता है।"
लेकिन उस वक़्त शायद ही उन्होंने ये सोचा होगा कि एक दिन वो ख़ुद सेक्स स्कैंडल के मामले में घिर जाएंगे। ख़ासकर उस समय जब दिसंबर 2012 में दिल्ली में एक महिला के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के बाद उठे बवाल के कारण सरकार महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अपराध को रोकने के लिए भरपूर कोशिश कर रही है।